
सोनहत/कोरिया: क्षेत्र क्रमांक -07 के जिला पंचायत सदस्य सुरेश सिंह ने स्थानीय स्वास्थ्य सुविधाओं और वन संरक्षण में व्याप्त समस्याओं को लेकर बीएमओ श्रेष्ठ मिश्रा और पार्क परिक्षेत्र अधिकारी महेश टुंडे की हटाए जाने की मांग उठाई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि इन अधिकारियों की लापरवाही के कारण क्षेत्र की जनता को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा है और पर्यावरण की सुरक्षा भी खतरे में है।
सुरेश सिंह ने बताया कि सोनहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीएमओ श्रेष्ठ मिश्रा का मुख्यालय में उपस्थित रहना अनिवार्य है, लेकिन वह अक्सर उपस्थित नहीं रहते। “उन्होंने कहा कि बीएमओ 24 घंटे में मुख्यालय में रहना चाहिए, लेकिन वह अपने निवास से स्वास्थ्य केंद्र आने में समय लेते हैं और मरीजों को भी सही समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाता,” उन्होंने कहा। उनका आरोप है कि गर्भवती महिलाओं को समय पर सोनोग्राफी नहीं मिल पा रही है और कई बार गंभीर मामलों में उन्हें जिला अस्पताल भेज दिया जाता है।
इसके अलावा, सुरेश सिंह ने महेश टुंडे पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि रेंजर टुंडे भी जिला मुख्यालय में रहते हैं और पार्क क्षेत्र में निर्माण कार्यों के लिए नियमों का उल्लंघन करते हुए बड़े-बड़े पेड़ों की कटाई कर रहे हैं। “इनके द्वारा राष्ट्रीय उद्यान के अंदर से खनिजों का दोहन किया जा रहा है, जबकि स्थानीय गांववासियों को वन उत्पादों के संग्रहण की अनुमति नहीं है,” उन्होंने कहा। वन विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम हमेशा नियमों का पालन करते हैं। यदि कोई भी अधिकारी गलत कर रहा है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।” यह बयान हालांकि सुरेश सिंह की चिंताओं को कम नहीं करता, क्योंकि उन्होंने इस मामले को सुशासन त्यौहार के दौरान शासन के समक्ष उठाने का निश्चय किया है।
सुरेश सिंह ने कहा, “मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूं कि प्रशासन हमारी मांगों को गंभीरता से लेगा और जांच के बाद दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगा।” उनका उद्देश्य यह है कि क्षेत्र की जनता को सरकार द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं का सही लाभ मिल सके और उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके।
इस प्रकार, जिले की स्वास्थ्य सेवाओं और वन संरक्षण के मामले में अधिकारियों की भूमिका को लेकर चल रही इस बहस ने स्थानीय जनता के बीच चिंता उत्पन्न कर दी है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले को कैसे संभालता है और क्या सुरेश सिंह की मांगों पर कार्रवाई होती है।



