
नई दिल्ली : हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। पितृ पक्ष के दौरान पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस व्रत को करने से न सिर्फ भगवान विष्णु खुश होते हैं, बल्कि पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में जब आज यह व्रत रखा जा रहा है, तो आइए इस तिथि से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।
पूजा मुहूर्त
पंचांग गणना के आधार पर परिघ योग का समापन 17 सितंबर को देर रात 10 बजकर 55 मिनट पर होगा। जबकि शिववास देर रात 11 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। वहीं, आज पूरे दिन पुष्य नक्षत्र भी है। ऐसे में आज भगवान विष्णु की उपासना के लिए पूरा दिन ही शुभ माना जा रहा है।
- शाम के समय सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थल को साफ करें और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं।
- उन्हें पीला चंदन, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत का भोग लगाएं।
- दीपक और धूप जलाएं।
- इंदिरा एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- इस दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में अपने पितरों का तर्पण जरूर करें और दान-दक्षिणा दें।
श्री हरि को क्या भोग लगाएं? भगवान विष्णु को पीली चीजें बहुत प्रिय हैं, इसलिए उन्हें भोग में पीली मिठाई जैसे बेसन के लड्डू, केला, या पीले फल चढ़ाएं। इसके अलावा पंजीरी, पंचामृत और तुलसी दल जरूर शामिल करें, क्योंकि तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं।
- ॐ नमोः नारायणाय॥
- ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥



