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बिना तुलसी के अधूरा है भगवान विष्णु का भोग, लेकिन क्या Saphala Ekadashi पर कर सकते हैं इसकी पूजा?

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सफला एकादशी 15 दिसंबर, सोमवार को मनाई जाएगी। वहीं एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी 16 दिसंबर को किया जाएगा। एकादशी के दिन तुलसी से जुड़े कई नियम बताए गए हैं। इस दिन पर आप शुभ फलों की प्राप्ति के लिए इस तरह से तुलसी जी की पूजा कर सकते हैं।

तुलसी पूजा की विधिसफला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई कर विधिवत रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का पूजन करें।भगवान विष्णु के भोग में तुलसी दल जरूर शामिल करें।

इसके बाद शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और 7 या 11 बार परिक्रमा करें। इसके बाद माता तुलसी के मंत्रों का जप करें और आरती करें। इससे साधक को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

करें इन मंत्रों का जपतुलसी नामाष्टक मंत्र –

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

न करें ये कामएकादशी तिथि के दिन तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी तिथि पर है माता तुलसी भगवान विष्णु के निमित्त निर्जला व्रत करती हैं, ऐसे में जल अर्पित करने से उनके व्रत में बाधा उत्तन्न हो सकती है और आपको एकादशी व्रत का शुभ परिणाम नहीं मिलता। इसके साथ ही एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते उतारने से भी बचना चाहिए, वरना आपको शुभ परिणाम नहीं मिलते।

 

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